उदयपुर, (17 मई, 2018): सेण्टर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड पब्लिक पॉलिसी के निर्देशक एवं मुख्य शोधकर्ता आर. रोचिन चंद्रा ने एक चौंका देने वाली ‘पॉलिसी रिपोर्ट’ निकाली है, जिससे ये निष्कर्ष निकला है की, जनता को अपराध से बेहतर सुरक्षा देने के लिए भारतीय पुलिस को ऐसे स्किल्स अपनाने की जरुरत है जो अन्य पुलिस कर्मचारियों के पास नहीं है | ये अद्वितीय कौशल पुलिस को एक अपराधशास्त्री के जरिये मिल सकता है, जिसकी ‘रिसर्च मेथड्स’ और ‘क्राइम डेटा एनालिसिस’ पे मजबूत पकड़ हो| ये पॉलिसी रिपोर्ट रोचिन द्वारा की गई एक राष्ट्रव्यापी अध्यन का हिस्सा है, जिसमें पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो व राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के निर्देशकों के अलावा भारत सरकार के कई उच्च रैंकिंग आईपीएस ऑफिसर्स ने हिस्सा लिया| इस रिपोर्ट से पता चला है की अपराधशास्त्रियों को ‘विशेषयज्ञ’ के तौर पे पुलिस में भर्ती करने से भारतीय पुलिस बल सीमित साधन (स्टाफशार्टेज) में भी बेहतरऔर प्रभावशाली सिक्योरिटी दे सकती है| इस नीतिगत बदलाव से आपराधिक घटनाएं कम होगी और आम आदमी को इसके द्वारा हो रहे शारीरिक, मानसिक एवं वित्तीय नुक्सान नहीं उठाने पढ़ेंगे|
इस तरह करेंगे अपराधशास्त्री पुलिस विभाग को मदद
रोचिन ने बताया की जिस तरह अपराध की प्रवर्ति तीव्र्रता से बदल रही है, उसी प्रकार हमारी पुलिस को भी सक्रिय (प्रोएक्टिव) रणनीतियां अपनानी होगी, ताकि अपराध को उसके होने से पहले ही रोका जा सके| इसके लिए उच्च्य पुलिस कर्मियों को उनकी रेंज का क्राइम पैटर्न समझना होगा, और अपनी वर्त्तमान रणनीतियों को रिव्यु करना होगा| ये पुलिसिंग में एक आधुनिक विकास है, जिसे एक अपराधशास्त्री शोध व क्राइम एनालिसिस के जरिये आईपीएस अफसर को बता सकता है| अगर अपराधशास्त्रियों को क्राइम डाटा दे दिया जाये तो वे उसे एसपीएसएस और जीआईएस सॉफ्टवेयर द्वारा जांच करके काफी महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं – जैसे की, किस समय पे, किस जगह ज़्यादा क्राइम होर हा है, विक्टिम और ऑफेंडर के बीच में क्या रिलेशन है, अपराधी किस अंदाज़ से शिकार कर रहा है, वो किस तरह की पापुलेशन (महिला, बच्चिया, बुजुर्ग) को ज़्यादा टारगेट कर रहा है, और अपराधी की सामाजिक एवं आर्थिक स्तिथि क्या है| इस जानकारी से पुलिस, अपराध के मुख्य कारण समझ पायेगी और अपने साधन वहां तेहनात कर सकेगी जहाँ अपराध होने की संभावना ज़्यादा है| इस तकनीक को एविडेंस बेस्ड हॉटस्पॉट पोलिसिंग कहते है, और विदेशी पुलिस इसे अपनी वर्त्तमान रणनीतियों का इम्पैक्ट, कॉस्ट एफ्फेक्टिवेनेस, और इम्प्लीमेंटेशन समझने के लिए उपयोग करती है|
इसके अलावा रिपोर्ट से ये पता चला है की एक अपराधशात्री पुलिस अकादमी में साइंटिफिक रिसर्च का कल्चर विकसित कर सकता है | इससे पुलिस कर्मियों के कौशल व ज्ञान में इज़ाफ़ा होगा और अपराध से लड़ने के लिए वे समकालीन बनेंगे|
सोर्स: सेण्टर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड पब्लिक पालिसी
समाचार रिपोर्ट:
उदयपुर टाइम्स, पुलिस-अपराधशास्त्री की जोड़ी देगी अपराध से बेहतर सुरक्षा: राष्ट्रीय स्तर शोध, 17 मई, 2018
दैनिक नवज्योति, पुलिस-अपराधशास्त्री मिलकर अपराधों पर लगा सकते हैं लगाम, 6 मई, 2018
उदयपुर एक्सप्रेस, पुलिस-अपराधशास्त्री की जोड़ी देगी अपराध से बेहतर सुरक्षा, 6 मई, 2019